पद्य साहित्यहाइकु/सेदोका

भोर (40 हाइकु)

1.
भोर होते ही
हड़बड़ाके जागी,
धूप आलसी।
2.
आँखें मींचता
भोरे-भोरे सूरज
जगाने आया।
3.
घूमता रहा
सूरज निशाचर
भोर में लौटा।
4.
हाल पूछता
खिड़की से झाँकता,
भोर में सूर्य।
5.
गप्प करने
सूरज उतावला
आता है भोरे।
6.
छटा बिखेरा
सतरंगी सूरज
नदी के संग।
7.
सुहानी भोर
दीपक-सा जलता
नन्हा सूरज।
8.
गंगा मइया
रोज़ भोरे मिलती
सूरज सखा।
9.
भोर की वेला
सूरज की किरणें
लाल जोड़े में।
10.
नदी से पूछी
किरणें लजाकर,
नहाने आऊँ?
11.
किरणें प्यारी
छप-छप नहाती
नदी है टब।
12.
चली किरणें
संसार को जगाने
हुआ बिहान।
13.
तन्हा सूरज
उम्मीद से ताकता
कोई तो बोले।
14.
मन का बच्चा
खेलने को आतुर,
सूरज गेंद।
15.
चिड़िया बोली
तुम सब भी जागो
मैं जग गई।
16.
सोने न देता
भोरे-भोरे जगाता
क्रूर सूरज।
17.
अनिद्रा रोगी
भोरे-भोरे जागते
सूरज बाबा।
18.
माँ-सी किरणें
दुलार से उठाती
रोज़ सबेरे।
19.
सूरज देव
अँगने में उतरे
फूल खिलाने।
20.
साथ बैठो न,
सूर्य का मनुहार
भोर है भई।
21.
पानी माँगने
गंगा के पास दौड़ा
सूरज प्यासा।
22.
सूरज भाई
बेखटके जगाए
बिना शर्माए।
23.
जल्द भोर हो
सूर्य का इंतिज़ार,
सूरजमुखी।
24.
साफ़ सुथरा
नदी में नहाकर
सूर्य चमका।
25.
भोर में आता
दिनभर बौराता,
आवारा सूर्य।
26.
ठण्ड की भोर
आराम फ़रमाता
सूर्य कठोर।
27.
गच्चा दे गया
बेईमान सूरज
जाड़े की भोर।
28.
भोरे उठाता
करता मनमानी,
हठी सूरज।
29.
भोर की लाली
गंगा को है रँगती,
सुन्दर चित्र।
30.
नरम धूप
मनुहार करती –
बैठो न साथ।
31.
भोर की रश्मि
ख़ूब प्यार से बोली-
चाय पिलाओ।
32.
सूर्य थकता
रोज़ भोरे उगता
लेता न नागा।
33.
सूर्य भेजता
उठने का संदेश
रश्मि है दूत।
34.
भोर में सूर्य
गंगा-स्नान करता
पुण्य कमाता।
35.
हुआ बिहान
दलान पर सूर्य
तप करता।
36.
सूर्य न आया,
मेघ से डरकर
कहीं है छुपा।
37.
किसने बोला-
जागो, भोर हो गया,
चिड़िया होगी।
38.
धूप के बूटे
खिड़की से आ गिरे,
खिला बिछौना।
39.
भोरे-भोरे ही
चकल्लस को गया
आवारा सूर्य।
40.
भोर ने कहा-
सोने दो देर तक,
इतवार है।
– जेन्नी शबनम (30. 6. 2022)
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