लघुकथा

एकता की ताकत

भागीरथी की आँखें भर आई

फिर भी अश्रुकण निकल नहीं रहे थे । संपूर्ण भू धरा पर बरखा असंतुलित एवं असंयमित होकर तांडव कर रही थी ।
अपने संतानों की चित्कार एवं क्रंदन से भागिरथी विह्वल होकर असम में विराजती बहनों को पुकारने लगी ।
उसकी करूण पूकार सुनकर ब्रह्मपुत्र सुशुप्तावस्था से जागृत हो कर पूछ बैठे-
“अरी ओ…भागिरथी क्यों इतना विह्वल हो रही हो ?”
भागिरथी रोते हुए कहने लगी-
“क्या आप जलप्रलय और वर्षा के महाविनाश के मूक दर्शक मात्र बन कर रहेंगे ? अपनी सहायक नदियों तिस्ता कलंग, कामेंग, कुशियारा कृष्णाइ
कोपिली आदि सभी बहनों को एकत्रित कर समझाते क्यों नहीं हैं ?”
“बहन मैं कैसे समझाऊं ? हमारे ही रक्षक भक्षक बन गये हैं । हमें सीमा रेखा में बांध कर स्वयं असंयमित होकर तांडव करने लगे हैं ।”
भागिरथी मायूस होकर कहने लगी-
“आपने सही कहा ब्रह्मपुत्र; जिसे तांडव करना चाहिए वह निर्लिप्त भाव से समाधिस्थ होकर ध्यान मग्न होने के सिवा कुछ नहीं कर पा रही है ।”
“आभार बहन आपने ध्यानाकृष्ट किया । विनाशकारी वर्षा को मैं अब अपने आगोश में समेटने के लिए अपने सभी भगनियों को आज्ञा देता हूँ ।”
भागिरथी की आँखों से खुशी के आँसू छलक उठे, गंगादशहरा के दिन । विह्वल हो कर नर्तन करने लगी ।
उनकी एक आवाज पर सुवनश्री, तिस्ता, तोर्सा, लोहित, बराक आदि ब्रह्मपुत्र की उपनदियां प्रलयंकारी वर्षा को पल भर में ही आगोश में ले लीं ।
ब्रह्मपुत्र भी खुश हो कर कहने लगे–
“देखा भागिरथी आज भी हमें हमारी एकता एवं संगठन शक्ति पर गर्व है । हर साल वर्षा के महाविनाश को रोकने के लिये हमें ही अपना हृदय विशाल कर सागर से मिल कर मानव को सुरक्षित करने के लिये जतन करने पड़ते हैं ।”

— आरती रॉय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com