लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।
लीला तिवानी
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द्वारका, नई दिल्ली
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तितली हूँ मैं प्यारी सी, उड़ती हूँ मैं न्यारी सी खाना खाती फूलों में झूला झूलती फूलों में चाल है मेरी न्यारी सी, तितली हूँ मैं प्यारी सी, बहुत दूर से आती हूँ, बच्चों के मन भाती हूँ, लगती हूँ मैं सुन्दर सी, तितली हूँ मैं प्यारी सी, पंख है मेरे रंग – बिरंगे लगते […]
मुश्किल हैं विज्ञान, गणित, हिन्दी ने बहुत सताया है। अंग्रेजी की देख जटिलता, मेरा मन घबराया है।। भूगोल और इतिहास मुझे, बिल्कुल भी नही सुहाते हैं। श्लोकों के कठिन अर्थ, मुझको करने नही आते हैं।। देखी नही किताब उठाकर, खेल-कूद में समय गँवाया, अब सिर पर आ गई परीक्षा, माथा मेरा चकराया।। बिना पढ़े ही […]
कोरोना से लड़ना है, हमको आगे बढ़ना है, कोरोना की धूल झटक कर, ऊंचे-ऊंचे चढ़ना है. अनुशासन रख, कदम बढ़ाएं, अपनी-अपनों की जान बचाएं, दो गज दूरी, उचित फासला, रखकर कोरोना को हराएं.