रक्षा बंधन आया है,
स्नेह बहन का पाया है,
राखी बांधी उसने मुझको,
मेरा मन हर्षाया है.
मां ने कहा “उपहार उसे दो”,
मैंने पूछा “क्या चाहिए?”
बहना बोली”प्यार सदा ही,
बनाए रखना, यही चाहिए.”
“प्यार में कमी न आने दूंगा,
रक्षा को तैयार रहूँगा,
तुमने खिलाई मुझे मिठाई,
मैं मीठा व्यवहार करूंगा.”
*लीला तिवानी
लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।
लीला तिवानी
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