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तितली रानी
तितली रानी – तितली रानी रंग बिरंगें पंखों वाली घास – फुस पर विचरण करती सब रंगों मे सुंदर लगती कभी लताएँ , कभी फूलों पर इधर- उधर वो खूब इतराती तुझे देख सब बच्चें खुश तुझे पकड़ने मे है ब्यस्त कभी कभी धागा के सहारे तुझे बाँधकर लगे उड़ाने बच्चे भी सब हैं अलबेल […]
बात पते की ( बाल कविता )
चुन चुन करती आई चिड़िया काम की बात बताई चिड़िया बात पते की आज सुनाऊँ चुन्नू ,मुन्नू सुन लो गुड़िया रोज सवेरे उठ जाती हूँ देर रात तक कभी न जगती काम सभी मैं अपने करती नहीं कभी भी मैं हूँ थकती तुम भी बच्चों जल्दी सोना बुरी आदतों में न खोना सुबह सवेरे जल्दी […]
हार को ही उपहार बना लो
हार को ही उपहार बना लो, तमस को उजियार बना लो, ढूंढने से आनंद मिलेगा न कहीं, आनंद को जीने का आधार बना लो. हार भी है एक सबक प्यारा, हार को आगोश में भर बढ़ते जाओ, तब हार भी छिपने को खोजेगा कोना, तुम जीत के उसे श्रंगार बनाओ. विश्वास हमारा अमर सदा, असफलता […]
4 thoughts on “कृष्ण-कन्हैया”
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सही कहा आपने।
कान्हा की मुरली के हम दीवाने हैं।
कितनी सुंदर मुरली तेरी,
मोरपंख मनभाया हैं।
जी, बहुत-बहुत शुक्रिया.
सही कहा आपने।
की मुरली के हम दीवाने हैं।
कितनी सुंदर मुरली तेरी,
मोरपंख मनभाया हैं।
जी, बहुत-बहुत शुक्रिया.