बाल कविताशिशुगीत

कृष्ण-कन्हैया

जन्मदिवस तेरा आया है,
मन मेरा हर्षाया है,
कितनी सुंदर मुरली तेरी,
मोरपंख मनभाया है.
कोई कहता तुमको कान्हा,
केशव-माधव-यशोमति लाला,
मेरे तो तुम कृष्ण-कन्हैया,
माखन-मिश्री खाने वाला.
आओ आंखमिचौली खेलें,
मैं छिपता तुम ढूंढो मुझे,
फिर मेरी भी आएगी बारी,
तुम छिपना ढूंढूं मैं तुझे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “कृष्ण-कन्हैया

  • *चंचल जैन

    सही कहा आपने।
    कान्हा की मुरली के हम दीवाने हैं।
    कितनी सुंदर मुरली तेरी,
    मोरपंख मनभाया हैं।

    • *लीला तिवानी

      जी, बहुत-बहुत शुक्रिया.

  • *चंचल जैन

    सही कहा आपने।
    की मुरली के हम दीवाने हैं।
    कितनी सुंदर मुरली तेरी,
    मोरपंख मनभाया हैं।

    • *लीला तिवानी

      जी, बहुत-बहुत शुक्रिया.

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