कविता

अग्निवीर बन जाओ तुम

अग्निवीर बन जाओ तुम

उठो जागो और भागो तुम
सुख,चैन को त्यागो तुम
देशहित में मर मिटने को
अग्निवीर बन जाओ तुम

आपस मे लड़ने से बेहतर
देश के काम आओ तुम
देकर अपना खून देश को
अग्निवीर बन जाओ तुम

दुश्मनो से टक्कर लेने
सीमा पर डट जाओ तुम
दुश्मन को मार भगाकर
अग्निवीर बन जाओ तुम

देश की रक्षा करते करते
दुश्मनो से लड़ते लड़ते
देश का यश गाओ तुम
अग्निवीर बन जाओ तुम

— प्रीतम साहू कुशप्रीत

प्रीतम साहू 'कुशप्रीत'

लिमतरा, धमतरी,(छ.ग) जन्म-१९८७ कार्य- शिक्षक रूचि - चित्रकला,लेखन शिक्षा -एम.ए/एम.लिम,/बी.एड