कविता

अमर रहे रक्षाबंधन का पर्व

अमर रहे  रक्षाबंधन का  यह पावन पर्व
अमर  रहे भाई बहन का यह पावन धर्म।

बहन की रक्षा का भाई यह  शपथ लेगा
भाई अपनी कलायी में राखी बंधवाएगा।

रेशम  के धागों में प्रेम विश्वास झलकेगा
आस्था प्रेम  की  राखी हाथ में निखरेगा।

महज धागा नहीं है,यह रेशम का धागा
जन्म  जन्मांतर के प्रेम का है यह बंधन।

रिश्तों की बुनियाद रहे अमर व मजबूत
सदा  रहे  अखंड  विश्वास यह गठबंधन।

नही तौल  सकते हैं रिश्तों को दौलत से
और न निभा सकते हैं  ईर्ष्या नफरत से।

निभा सकते हैं इसे प्रेम आस्था प्यार से
इसे पावन भी बना सकते हैं,विश्वास से।

— अशोक  पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578