अभिनंदन हे गणपति देवा,
मन-आसन तैयार,
आके विराजो हे विघ्नविनाशक,
प्राणों के आधार.
प्रथमै पूजन होता तेरा,
तीन लोक के स्वामी,
लड्डुअन भोग लगाओ आकर,
घट-घट अंतर्यामी.
हमने तुझ पर तन-मन वारा,
प्राण भी तुझ पर घोरया,
जल्दी आओ सिद्धिविनायक,
गणपति बप्पा मोरया
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