क्षणिका

क्षणिका

हम दोष ढूंढने में हैं माहिर
शब्द पकड़ बैठ जाते हैं
शब्दों के पीछे की भावना
नहीं हम पढ़ पाते हैं
❤️🙏

*ब्रजेश गुप्ता
मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020