हवा चल रही ठंडी ठंडी
पानी भी है बरस रहा
गुड़िया रानी
बाहर न खेल
जल्दी आ जा अंदर
खांसी होगी, नाक बहेगी
छींकेगी तू जोर जोर
भीग गई तो
ठंड से आ जायेगा तुझको ज्वर
हवा चल रही ठंडी ठंडी
पानी भी है बरस रहा
गुड़िया रानी
बाहर न खेल
जल्दी आ जा अंदर
खांसी होगी, नाक बहेगी
छींकेगी तू जोर जोर
भीग गई तो
ठंड से आ जायेगा तुझको ज्वर
हर हाथ में रहे तिरंगा भाई । हर हाथ में बहे गंगा भाई । तन-मन सुंदर निर्मल-धवल । चेहरे पर हो खिलता कँवल । हिमालय जैसे हों ऊँची शान । सिंधु सा धीर गम्भीर महान । ईश्वर से महान माता-पिता । मानें कुरान इन्हें समझें गीता । मातृधरा की करें पहली पूजा । काम करें […]
पिता जा रहे थे बाजार स्कूटी पर हुए सवार तभी वंश ने सहसा रोक हेल्मेट कहाँ , दिया था टोक माना जाना नहीं है दूर सिर पर हेल्मेट रहे जरूर हो सकती सड़कों पर फिसलन गड्ढे बन सकते हैं अड़चन जिसने हेल्मेट नहीं लगाया उसने संकट पास बुलाया धूल – धुएँ से नेत्र बचाता घर […]
(छंद- आल्हा) चूँ-चूँ करती चिड़िया रानी, डाली पर करती चकचार कौन ले गया निरा घोंसला, छीन गया उसका संसार लटक रहें डाली पर उसके, हैं चूँजे उसकी पहचान झूल रहे थे दृश्य मनोरम, हों मानों सावनी बहार रोज रोज उड़ वह जाती थी, दाना चुँगती दूर दरार बच्चों को फुसलाते जाती, मत डरना है अपना […]