मुक्तक/दोहा

चुनाव और नेता

इस चुनाव के  दौर में, हवा  चली   विपरीत।
वोटर नब्ज  देख रहा, किस की कैसी नीत।
खूब  नचाया  नाच है,  जनता  करे  हिसाब।
हवा चली विपरीत है, किस का चलता दाब।
हथकंडे    अपना   रहे, कैसे    होगी    जीत।
होश  सभी  के  उड़  रहे, हवा चली विपरीत।
हवा   चली   विपरीत  है, ढूंढ   रहे   हैं  तोड़।
जनता  के  आगे  खड़े, दोनों  कर को  जोड़।
नेता  के   सर  ताज  की , टूट  न जाए  प्रीत।
देख खोफ़ से डर रहा, हवा  चली    विपरीत।
पैसा   खूब   बहा    दिया, मुर्गे   संग   शराब।
वोटर हुआ चतुर बड़ा, कर दे   काम   खराब।
जितनी  चौगा  डाल  दे, चलता  टेड़ी    चाल।
सारी  कीलें   तोड़   के, ले   उड़ता   है  जाल।
ऊँट   बैठता   देखते, किस  करवट  की ओर।
दिल की धड़कन बढ़ रही, मिले  नहीं  है  ठौर।
— शिव सान्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. Sanyalshivraj@gmail.com M.no. 9418063995