भजन/भावगीत

हे माँ भगवती तुम आ जाओ

हे माँ भगवती तुम आ जाओ
करता हूँ मन से तुझे आह्वान
आके तुम मंचासीन हो जाओ
आशीष दे दो तुम हमे वरदान।

वंदना है तुमको इस हृदय से
स्वीकार करो माँ मेरी प्रार्थना
बिघ्न-बाधा तुम दूर कर देना
आज सफल  हो यह साधना।

ज्ञान-दायिनी तुम ही हो माता
अज्ञानता मेरी तुम दूर करना
ज्ञान की ज्योति प्रज्वलित कर
अब तुम आलोकित कर जाना।

हम हैं भोले-भाले तुच्छ प्राणी
जड़मति अज्ञानता के खान हैं
आज मेरी लाज तुम रख लेना
मन की वाणी में यह गुणगान हैं

सम्पन्न हो शुभकार्य आज मेरा
ज्ञान-चक्षु मेरी तुम खोल देना
हो जाए जीवन यह प्रकाशित
अज्ञानता  के तम को हर लेना।

— अशोक पटेला “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578