कविता

वंदना!

प्रातःस्मरण सृष्टि रचयिता परमेश्वर,
करुणासागर, प्रभु परमात्मा का,
धन्यवाद दूँ मानव जीवन उपहार,
बुद्धिबल, ज्ञान, कौशल वरदान का।।१।।
स्मरण करूँ जीवन शिल्पकार,
पूजनीय गुरुदेव, माता-पिता का,
वन्दन, स्मरण हो शिक्षा-संस्कार,
जीव दया, करुणा, धर्मानुराग का।।२।।
स्मरण करूँ सहृदयता, मानवता,
परोपकारी पुनीत जीवन मूल्यों का,
प्रेम, सौहार्द, सद्भाव, सदाचार,
मानव जीवन कर्तव्य कर्म का।।३।।
स्मरण, वीर जवानों के बलिदान का,
अन्नदाता किसान के परिश्रम का,
स्मरण रहें भलाई और उपकार का,
विस्मरण, कटु, कर्कश व्यवहार का।।
प्रेम-सेवा, आत्मीयता पुष्प पुलकित,
यथोचित आदर सम्मान बड़ों का,
नटखट बचपन, खिला-खिला यौवन,
आह्लाद जीवन में निश्चल भोर का।।४।।
मानव जीवन हो सत्कर्म दीपीत,
प्रण प्रकृति, पर्यावरण पूजन का,
मनमन्दिर में पावन प्रभु वास हो,
स्मरण धर्म आराधना, उपासना का।।५।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८