कविता

लिव इन रिलेशनशिप

लिव इन रिलेशनशिप का फंडा
बन गया सामाजिक अभिषाप
धर्म कर्म बदल कर घूम रहा है
गली गली में आपके नरपिचास

वादा करता कसमें भी खाता
हाथ कलैवा बाँध कर   जाप
क्षण में बदल देता है  अपनी
चेहरा बन कर      आफताब

झूठी है सब वादा सर फिर खाता
काट डालता है  सर धड़    हाथ
पहचानो इनको प्रेम  के   दिवानी
मोहब्बत में मत होना      बेताब

हवस बना खिलौना देश की कन्या
मत कर इनके प्रेम पे  तुँ विश्वास
दिल बहलाता है ये  दानव अपना
जता कर तुम पर अटूट  विश्वास

चापलुसी है फितरत जग में इनका
पूछता है खैर I मखदम हाल चाल
गिरगिट की तरह बदल जाता है ये
जब हो जाता है इनका लव जेहाद

कितनी हुई कुर्बान हिन्द की बेटी
नहीं है कोई इनकी अब    हिसाब
कानून भी यहाँ मौन बन बैठा है
चुप क्यूं है देश के  सत्ता  पे  आप

प्यार जग में करना कोई पाप नहीं
पर ना करना  ऐसो पथ पे     पाप
तेरी इज्जत तेरे परिवार की इज्जत
अब है सिर्फ तुम्हारे ही       हाथ

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088