कविता

मन की तार

छू कर मेरे मन की तार
दिल में कर दी है झंकार
प्रकृति सोलह श्रृंगार सजाई
मौसम में खुमार है  छाई

डगर डगर गुँज रही प्रेमगीत
मधुकर ने छेड़ दी   संगीत
सब पे प्यार की नशा है छाई
तन मन ले रही है अंगड़ाई

पर्वत के बदन को छू कर आया
पूर्वाई ने गजब शोर है   मचाया
कौन बजा रहा है पवन संगीत
प्रेम डगर है प्रेम है युवा प्रीत

नदियों की अल्हड़ सी जवानी
कल कल बह रही है मस्तानी
कैसी अद्भूत रचना है संसार
सूरज किरण से भागा अंधकार

उड़ती गिरती  जब तेरी आँचल
पाँवों को छूकर शर्माती पायल
सरसों के पीले फूल अलसाया
प्यार मोहब्बत मधुमास है छाया

क्यूँ अनजान है गाँव जवार
पत्ता पत्ता को पता है अपना प्यार
यह कदम अब कभी ना मुड़ेगा
सात जन्म तक ये प्यार रहेगा

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088