गीत/नवगीत

वतन के नाम कर जाऊं

मैं अपनी चंद सांसों को,
वतन के नाम कर जाऊं।
मैं अगले सात जन्मों तक,
जन्म भारत में ही पाऊं।
इसी की आन पर जीना,
इसी की शान पर मरना,
जिसे जग भूल ना पाए,
कुछ ऐसा काम कर जाऊं।
मैं अपनी चंद सांसों को……।
गली,हर मोड़, नुक्कड़ पर,
शहीदों की निशानी हो।
हमारे गीत, ग़ज़लों में,
शहीदों की कहानी  हो।
शहीदों के शहादत की,
कहानी आम कर जाऊं।
मैं अपनी चंद सांसों को……।
सावरकर जी सा साहस हो,
भगतसिंह सी हिमाकत हो।
मिले महाराणा जैसा बल,
सुभाष जैसी नज़ाकत हो ।
रचा इतिहास जो इनसे,
उसे सौ बार दोहराऊं।
मैं अपनी चंद सांसों को….।

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश