बाल कविता

बिल्ली मौसी

बिल्ली मौसी झुंड में रहती,
यों तो कहती नहीं मैं डरती,
कहो आज क्या खास हुआ है,
शायद चूहा पास हुआ है!
तुम नापास हुई तो क्या है,
कोशिश करो फिर हर्ज ही क्या है!
ऐसे डरने से क्या होगा!
खा जाओगी तुम ही धोखा.
चूहा क्या तुम्हें खा जाएगा!
आंख दिखाओगी वह भागेगा,
आत्महत्या कभी न करना,
बिना मौत पड़ जाएगा मरना.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244