निराश मत होना जीवन में, हो दिल क्यों छोटा जाता है।
बहता चल सरिता बन के, राह सुगम बनता जाता है।
निराश मत होना जीवन में
बनते चतुर चालाक यहाँ , तेरी बात को टोका जाता है।
सत्य पथ पर बन कर कांटे, तेरी राह को रोका जाता है।
निराश मत होना जीवन में।
मन घोर निराशा है हाथ लगे, फिसल वक्त यूँ जाता है।
वो पल छीना तुम से यहाँ, वो लौट नहीं फिर आता है।
निराश मत होना जीवन में।
जीवन की राह संघर्षों भरी, जो सतत चला वो पाता है।
दो पल खुशी की आस हो,वहीं गम का झोंका आता है।
निराश मत होना जीवन में।
घर से निकला ले इच्छाएं ,ठोकर खा कर गिर जाता है,
रोता फिरे अपने कर्म को, तेरा सपना बिखरा जाता है।
निराश मत होना जीवन में।
कर्मरत हो जीवन के राही, कर्मशील सदा सुख पाता है।
छू लेता आखिर मंजिल को,जो फर्ज अपना निभाता है।
निराश मत होना जीवन में।
— शिव सन्याल