कविता

हर पत्ता यहाँ का सावन से डरा है

हर शहर यहाँ का क़ातिलों से भरा है
जो भी यहाँ मरा वो निग़ाहों से मरा है
तिरछे वार से वो सीधा मार देते!
हर पत्ता यहाँ का सावन से डरा है

हर गली हर मोड़ पे जलवा है कायम
शातिर बहुत हैं वो जो दिखते मुलायम
आतिशी अंदाज में वो हर घड़ी रहते
हर शख्स यहाँ अब इशारों से जरा है

ख़ुदा ने भी यहाँ क्या इंसाफ किया है
हर गुनाह उनका यहाँ माफ किया है
हर रोज़ कज़ा करके वो शरीफ बने हैं
कूंचा कूंचा यहां उनकी शरारत से भरा है

हर बज़्म में उन्ही के चर्चे हैं होते
जो चैन छीन के बड़े चैन से सोते
छोटे से शहर के यहाँ ‘राज’ बड़े हैं !
हर पेंड़ यहाँ का शरारा से हरा है

राजकुमार तिवारी “राज”
बाराबंकी उत्तर प्रदेश

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782