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भाग्य और डिक्टेटरशिप
एक तरफ हम ‘गीता’ को आदर्श मानते हैं । कर्म को सबका गूढ़ मानते हैं , दूसरी तरफ उस रचना में ‘भाग्य’ शब्द को क्या कहा जाय ? ‘विधाता’ जहाँ ‘अधिनायक’ के सापेक्ष है, तो इसका मतलब ‘ईश्वर’ नहीं, अपितु ‘डिक्टेटर’ से है । ‘जन गण मन’ की बात सोचा जाना, ‘भारत-भाग्य-विधाता’ और ‘अधिनायक’ से […]
श्राद्ध वो, जो श्रद्धा से किया जाय
श्राद्ध वो, जो श्रद्धा से किया जाय, किया अगर महज दिखावे के लिए, तो श्राद्ध वह दिखावा ही रह जाय, श्राद्ध वो, जो श्रद्धा से किया जाय. श्राद्ध पितरों के लिए किया जाता है, उनकी अनुकृति हैं हम याद दिलाता है, उनकी याद को अमर किया जाय श्राद्ध वो, जो श्रद्धा से किया जाय. बाद […]
अरविंद सवैया
अरविंद सवैया[ सगण ११२ x ८ +लघु ] सरल मापनी — 112/112/112/112/112/112/112/112/1 “अरविंद सवैया” ऋतुराज मिला मधुमास खिला मिल ले सजनी सजना फगुहार। प्रति डाल झुकी कलियाँ कुमली प्रिय फूल फुले महके कचनार। रसना मधुरी मधुपान करे नयना उरझे हरषे दिलदार। अँकवार लिए नवधा ललिता अँगिया लपटाय गई पिचकार।। महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी