गीतिका/ग़ज़ल

चुलबुली नमकीन सी तक़रार अब है ही कहाँ

चुलबुली नमकीन सी तक़रार अब है ही कहाँ
दिल जला है आदमी दिलदार अब है ही कहाँ

दर्द लेकर सौंपता था मीत को मुस्कान जो
आधुनिक इस प्यार में वो प्यार अब है ही कहाँ

है बिना बंधन बिना शादी मुहब्बत का चलन
सात फ़ेरों की कहो दरकार अब है ही कहाँ

धर्म कुर्सी और कद का खेल है जम्हूरियत
वास्तविक सरकार सी सरकार अब है ही कहाँ

ठूठ थी तलवार की भी धार जिसके सामने
लेखनी में व्यंग की वो धार अब है ही कहाँ

सिर्फ़ सत्ता पक्ष के विज्ञापनों का पत्र है
ग़म रियाया का लिखे अख़बार अब है ही कहाँ

झूठ के सौदागरों का बढ़ गया औरा बहुत
सत्य सुनने को कोई तैयार अब है ही कहाँ

सतीश बंसल
१९.०१.२०२३

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.