कविता

पिता

बरगद की विशाल शाखाओं जैसी,
       अपनी बाँहे फैलाए ।
ख़ड़े रहकर धूप और छाँव में,
हर मौसम की मार झेल जाये ।।
कोई और नहीं , एक पिता ही हो सकता है।
कठोर भाव, पर अव्यक्त प्रेम का आसन ।
सख्ती से चलनें वाला परिवार का अनुशासन ।।
संबल, शक्ति, संस्कारों की मूर्ति ।
परिवार के सभी इच्छाओं की पूर्ति ।।
कोई और नही, एक पिता ही हो सकता है।
बिन कहे जो बच्चों का अरमान भांप ले ।
बाँहे फैलाये तो सारा आसमान नाप ले ।।
थरथराते, काँपते, नन्हे पँखों को ।
उड़ान का हौसला देनें वाला ।।
कोई और नही, एक पिता ही हो सकता है।
न जानें अपने अंदर कितनें मर्म छुपाये ।
दिल में आह हो, तो भी मुस्कुराये ।।
अपनी ख्वाहिशों की चिता से ,
घर को रौशन करनें वाला ।
कोई और नहीं,  एक पिता ही हो सकता है।
ईश्वर की अद्भुत रचना,
जो ईश्वर का ही रुप लगता है ।
गढ़ता है जो अपनें बच्चे को ,
संस्कार,विचार, व्यवहार  देकर ।
कोई और नही ,एक पिता ही हो सकता है।
 — उषाकिरण निर्मलकर

उषाकिरण निर्मलकर

पिता - श्री गैंदराम निर्मलकर माता - श्रीमती गनेशिया निर्मलकर पता :- ग्राम-पोस्ट - करेली छोटी तहसील- मगरलोड जिला- धमतरी (छत्तीसगढ़) 493662 उपलब्धियाँ एवं सम्मान :- 1."माता-पिता" साझा संकलन हेतु सह- लेखक सम्मान । 2. के. बी. राइटर्स अंतराष्ट्रीय साहित्यिक मंच द्वारा विभिन्न साझा संकलन हेतु सम्मान । 3. कलमकार साहित्य शिरोमणि सम्मान 2022 । 4. के बी राइटर्स कलमकार सम्मान 2022 । रचनाओं का प्रकाशन कहाँ-कहाँ हो चुका है? :- दी ग्राम टुडे लखनऊ दैनिक समाचार पत्र, समृद्धि न्यूज़ लखनऊ, मालवा हेराल्ड, दूसरा मत, इंदौर समाचार, साहित्य एक नजर कोलकाता, सारंगढ़ टाइम्स, रेड हैंडेड, किलोल प्रत्रिका एवं विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तक (यदि हो तो) :- 1.माता-पिता (साझा संकलन) 2.श्रद्धा सरोवर (साझा संकलन) 3.कलम ही पहचान है ( साझा संकलन ) 4.अर्पित (साझा संकलन) 5.मेरी कलम से (साझा संकलन ) 6.एक मुस्कान (साझा संकलन प्रकाशाधिन ) लेखन की विधा :- गीत, कविता, लघुकथा, बाल कविता पेशा :- व्याख्याता अंग्रेजी के पद पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भोथीडीह विकासखंड- मगरलोड जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़) में कार्यरत। 8963956080