हास्य व्यंग्य

खट्टा-मीठा: उनका सुपरहिट भाषण

उनको भाषण देने का शौक है। कोई मौका हो या न हो, पर वे भाषण जरूर देते हैं। वे प्रायः दूसरों के लिखे हुए भाषण पढ़ते हैं, पर कई बार अपने मन से भी बोल देते हैं। वे बोलते पहले हैं और सोचते बाद में हैं। कई बार तो उन्हें यही पता नहीं होता कि वे क्या बोल रहे हैं और क्यों। बस जो मन में आता है वह बोल डालते हैं। फिर बोलने के बाद सोचते रह जाते हैं कि क्या बोल गया।
एक बार उन्होंने अपना भाषण लिखने वाले से कहा, “इस बार मैं बिना पढ़े भाषण दूँगा। तुम भाषण लिख दो, मैं याद कर लूँगा।” भाषण लिखनेवाले ने शंका की, “अगर आपकी याददाश्त धोखा दे गयी, तो क्या होगा?” वे बोले, “नहीं, मैं याद कर लूँगा।”
खैर, उनको एक स्कूल में बच्चों के सामने बोलना था, तो लिखनेवाले ने कुछ इस तरह भाषण लिखकर दे दिया-
“हमें राम और कृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। राम ने सीता का हरण करने वाले रावण को लंका में जाकर मारा था। उन्होंने वानर भालुओं का साथ लेकर राक्षसों को हराया था। इसी तरह कृष्ण ने द्रोपदी का चीरहरण करने वाले दुःशासन को दण्ड देने के लिए महाभारत का युद्ध कराया था और अर्जुन से दुःशासन को तथा भीम से कर्ण को मरवाया था।
हमारे देश ने गाँधी और नेहरू के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी थी और अंग्रेजों को मारकर भगाया था। तब देश आजाद हुआ था। हमें इस आजादी को बनाये रखना है और तिरंगे झंडे की लाज बचानी है।”
भाषण थोड़ा लम्बा था। फिर भी किसी तरह इस भाषण को उन्होंने याद कर लिया। दो चार बार दोहराया भी। पर हमेशा की तरह बोलने में गड़बड़ी हो ही गयी। बच्चों के सामने अपना भाषण उन्होंने कुछ इस तरह दिया-
“हमें रावण के जीवन से सीखना चाहिए। उसने सीता का चीरहरण करने वाले कर्ण को लंका में जाकर मारा था। इसी तरह अर्जुन ने राक्षसों का हरण करने वाले भीम को मारा था। दुःशासन ने राम को दण्ड देने के लिए महाभारत का युद्ध कराया था और आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों को हराया था। हमारे वीरों ने द्रोपदी की लाज बचाने के लिए तिरंगा झंडा फहराया था। गाँधी ने इस देश को कृष्ण के चंगुल से आजाद कराया था। नेहरू ने इस आजादी के लिए अनेक बार गोलियाँ खायी थीं और गोली खाने के बाद भी कई वर्ष तक जिन्दा रहे थे।“
जिन बच्चों की समझ में यह भाषण नहीं आया, उन्होंने खूब तालियाँ बजायीं, इससे वे खुश हो गये। अखबारवालों ने इस भाषण को सुपरहिट बताया।
— बीजू ब्रजवासी