कविता

ऋतुराज बसंत

ले रही है तन मन धरातल पे अंगड़ाई
कितना मनमोहन बसंत ऋतु है आई
चारों ओर गुलशन मे  फूल सुहावन
ऋतुराज बसंत का हो रहा आगमन

चमन में मुस्कुराती है नई नई कलियाँ
रंग विरंगे से सजी नव पल्लव डालियाँ
कितना सुन्दर गुलशन है आज पावन
ऋतुराज बसंत का हो रहा   आगमन

अमुवा की डाली पे कुहके कोयलिया काली
मंजर जवॉ हो सज गई अमुवा की  सब डाली
सरसों के पीले फूल बिखराता मादक मधुवन
ऋतुराज बसंत का हो रहा है आज आगमन

गुलशन गुलशन में रंग बिरंगे फूल खिले हैं
मधुकर पंखुड़ी में मौन हो ख्वाबों में खोये है
फिजां में तैर रहा है मादक यौवन मन मोहन
ऋतुराज बसंत का हो रहा है आज आगमन

माँ सारदे की वीणा की गुंज रही झंकार
भौंरा बागों में कर रहा है मधुर गुंजार
ऋतुराज का राजा बंसत      लुभावन
ऋतुराज बसंत का हो रहा है आगमन

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088