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गज़ल
बुजुर्गों की तेरे हाथों से ना तौहीन हो जाए तेरी बातों से कोई दोस्त ना गमगीन हो जाए मिल जाए अगर इसमें किसी मज़लूम का आँसू घड़ी में दरिया मीठे पानी का नमकीन हो जाए उदासी में किसी की घोल दें थोड़ी सी खुशियां तो दिन अपना भी आज का ये बेहतरीन हो जाए कत्ल […]
ग़ज़ल – रहे तू जहाँ वो फ़िज़ा चाहता हूँ
रहे तू जहाँ वो फ़िज़ा चाहता हूँ । मैं दैर-ओ-हरम का पता चाहता हूँ ।।1 तेरी खुशबुओं से मुअत्तर चमन में । महकती हुई इक सबा चाहता हूँ ।।2 मेरी चाहतों से है वाकिफ़ ख़ुदा जो । उसे क्या बताऊँ मैं क्या चाहता हूँ ।।3 है दोज़ख़ या जन्नत बताने की ख़ातिर । तेरे इश्क़ […]
“गीतिका”
हौले हौले आ रही, शीतल मंद बहार पीछे खिड़की के खड़ी, साजन रूप निहार चंपा कहती सुन सखी, मैं कान्हा की खास खिली चमेली बाग में, करती पुष्प फुहार॥ ऋतु आकर इठला रही, सकुची कली गुलाब मानों करना चाहती, फूलों का मनुहार॥ मौसम हर पल झूमता, लेकर अपना रूप इस डाली उस डाल पर, बैठे […]