मुक्तक/दोहा

मुक्तक

संविधान में अम्बेडकर ने सबको, जाति धर्म में बाँट दिया,
कुछ को नीचा अछूत बताकर, आरक्षण अधिकार दिया।
वेदों ने कब बाँटे मानव, कब जाति धर्म का खेल किया,
जाति का प्रमाण पत्र ज़रूरी, संविधान में स्थान दिया।
शास्त्रों में कहीं कोई भी, जन्मना जाति नहीं बनी,
पिछड़े शूद्र बताते जिनको, थे क्षत्रिय सूरवीर धनी।
पढ़े लिखे जो ज्ञानी जन, वह सब ब्राह्मण कहलाते थे,
व्यापार कर्म में लिप्त रहे जो, वैश्य समाज के अग्रणी।
बाहुबली कुशल योद्धा, थे राष्ट्र हितों के संरक्षक,
राजा महाराजा बनकर, राज किया था सदियों तक।
युद्ध क्षेत्र में हार जीत, सेना की भाग्य विधाता है,
हार गयी जिसकी सेना, वह शूद्र पिछड़े आजतलक।
— अ कीर्ति वर्द्धन