मुक्तक/दोहा

दोहे – जीवन रंगों से बना

फगुवारों के दल सजे, नेह लुटाती फाग।
चौपालें खुश हो झूमतीं, नाचें कोयल काग।।
जन-जन का मन मोहते, होली के शुभ रंग।
बजे मँजीरा ढोल अब, शहनाई मुरचंग।।
जीवन रंगों से बना, रंग महकते खूब।
आंखों को है शोभती, मृदुल दूधिया दूब।।
मान रंग का हम रखें, रंग बने पहचान।
रंगों से हैं जब सजे, सुंदर लगे वितान।।
रंग खिले हैं देह पर, जैसे खिलती धूप।
मिटी दिवारें भेद की, निर्धन, धनी अनूप।
रंगों की बौछार से, बची न कोई देह।
भींगे तन-मन नेह से, बरसे अम्बर मेह।।
— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - pramodmalay123@gmail.com