गीत/नवगीत

पधारो आज फिर माता

पधारो आज फिर माता

•जगत कल्याण के खातिर पधारो आज फिर माता |
समर्पण भाव मंजूषा सजाओ साज फिर माता |
करूँ मनुहार,आरति, अर्चना तुमको पुकारू मां,
हे मां कात्यायनी आकर सवारो काज फिर माता |

• लगा लो मां गले मुझको धरो कर शीश पर मेरे |
चूड़ा दो बंध सारे कष्ट सारे दोष हर मेरे |
तेरे स्वागत में हमने घर को मंदिर सा सजाया है,
हे मां कात्यायनी आओ पधारो आज घर मेरे |

• नहीं मंडप छवा पाई ये मन मंडप तुम्हारा है|
अकिंचन भक्त हूं तेरी ये मन आँगन बुहारा है |
नहीं आराधना जप तप न जानू मंत्र पूजन विधि,
तेरी दुहिता हूं मन भावों से माँ तुमको पुकारा है |

• अजब सी बेबसी छाई नहीं कोई सहारा है|
जिसे चाहा जिसे पूजा उसी ने दुख पसारा है |
मेरी मां तुम समझती हो तो बस इतनी दया करना,
मेरा सौभाग्य दृढ़ करके मुझे देना सहारा तुम |

• तुम्हारा आसरा भारी तुम्हारा ही भरोसा है |
हे मां कात्यायनी संसार ने जीभर के कोसा है |
तेरे होते हुए मेरा अहित होगा नहीं माता,
तेरे आशीष की थाती ने बल संयम परोसा है |
हे मां कात्यायनी मुझको सदा तेरा भरोसा है |
मंजूषा श्रीवास्तव ” मृदुल “

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016