कविता

खुद पर विश्वास जीवन का सुरूर है

जीवन तब तक, जब तक आस है,
आस ही भरोसा है, विश्वास है,
बड़ी नाजुक है डोर विश्वास की,
तब तक बंधी है, जब तक विश्वास है.
विश्वास है अजस्त्र स्त्रोत का उत्साह,
विश्वास है एक दूसरे की परवाह,
विश्वास पर ही अवलंबित है,
स्नेह-प्रेम-प्यार का अनवरत प्रवाह.
विश्वास है जीवन का उजियार,
विश्वास-दीप जलते ही छटे अंधियार,
राह देते हैं बाधाओं के पहाड़ भी,
किनारा बन जाती खुद मझधार.
विश्वास खुदा का नूर है,
हीरे-रत्नों में कोहिनूर है,
विश्वास से विश्वास प्रकट होता है,
खुद पर विश्वास जीवन का सुरूर है,
खुद पर विश्वास जीवन का सुरूर है,
खुद पर विश्वास जीवन का सुरूर है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244