कविता

पर्यावरण दिवस

सरकारें अपना , काम कर रहीं
हम भी कदम से, कदम मिलाएं
केवल कमियां, ही न खोजें
अपने -अपने, कर्तव्य निभाएं
पर्यावरण को, स्वच्छ बनाएं ।

आसन्न दिखता है, जल का संकट
है गर्मी का, प्रकोप भयंकर
बारिश का जल, बहता नालों में
व्यर्थ इसको, जाने से बचाएं
पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं।।

विकासशील , हमारी अर्थव्यवस्था
निर्माण कार्य तो, नही रुकेगा
जंगल, पहाड़, काटने ही पड़ेंगे
साथ में नये, वृक्ष भी लगाएं
पर्यावरण को, स्वच्छ बनाएं।।

नये-नये भवन, इमारतें बनेंगी
विकास की रफ्तार,तो नही रुकेगी
संसाधनों पर, दवाब बढ़ेगा
पृकृति को थोड़ा, कम ही सताएं
पर्यावरण को, स्वच्छ बनाएं ।।

प्लास्टिक का विकल्प,ढूंढना होगा
पर्यावरण तब ही, सुरछित होगा
कचरा प्रबंधन, एक बड़ी समस्या
वैज्ञानिक, दृष्टिकोण अपनाएं
पर्यावरण को, स्वच्छ बनाएं।।

ध्वनि प्रदूषित, वायु प्रदूषित
पृथ्वी,जल, आकाश, प्रदूषित
अच्छा प्रगति का, दौर यह आया
सोचें, समझें, सामंजस्य बैठाएं
पर्यावरण को, स्वच्छ बनाएं।।

अन्तर्राष्ट्रीय, पर्यावरण दिवस पर
पृकृति की, वेदनाओं को समझें
जितना जरूरी बस,उतना ही छीने
वसुन्धरा को, रहने लायक बनाएं
पर्यावरण को, स्वच्छ बनाएं।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई