कविता

स्मृति

स्मृतियों के झरोखों में
जब हम झांकते हैं,
तब में दिखते हैं बीते पलों की
खट्टी मीठी झांकियां,
हम खो जाते हैं उन झांकियों में
जिसमें होती हैं
कुछ अच्छे, खुशनुमा पलों के दृश्य
तो कुछ पीड़ादायक, असहज करते दृश्य।
उन बीते पलों की कुछ स्मृतियां
खुशी के साथ क्षणिक सूकून देती हैं
जिससे हम निकलना नहीं चाहते
तो कुछ रुलाती तड़पाती, असहज भी करती हैं
जिससे हम शीघ्र ही दूर होने की कोशिश करते हैं।
पर स्मृतियां हमें दूर तक कहाँ ले जाती
और न ही देर तक साथ देती हैं
पानी का बुलबुला सरीखी होती हैं स्मृतियां
शीघ्र ही फूक कर को जाती हैं
हमें भरमाकर छोड़ जाती हैं।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921