कविता

मिलन की बेला

क्यों है ठहरी-ठहरी -सी
ऐ वक्त तू बता जरा ______?
सुना है _______!
बहुत तेज है रफ्तार तेरी
मिलन की घड़ी है करीब
फिर क्यों चलती है ठहर-ठहर!
तेरे ठहरने में
बीत गए न जाने कितने पहर–!
पिया मिलन को हूं बेताब बड़ी
तू दिखा अपनी रफ़्तार सही
चार पहर की घड़ी
अचानक ——-
हो गई है कितनी लम्बी!
ऐ बेदर्द वक्त
अभी जरा तू तेज चल
मिलन की बेला में
भले तू जाना ठहर—–!
— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P