1 ज्ञान ध्यान दे सुसंज्ञान दे, शक्ति-भक्ति का विधि-विधान दे. माया, साया संग निरोगी काया दे पर निरभिमान दे. वंश-वृद्धि और सुख-समृद्धि दे ऋद्धि-सिद्धि में दे अभिवृद्धि, मय सद्भाव प्रेम-प्रीति यह नव सम्वत्सर ससम्मान दे. 2...
हो गया क्यों अजनबी हर आदमी. सो गया क्यों मजहबी हर आदमी. वह पढ़ा है वह गुना है देश में, नहीं’ बना क्यों मकतबी हर आदमी. खूब धन दौलत कमा के बावला, बन गया क्यों मतलबी...
अगर तुम दो क़दम भी साथ आओ तो, अगर तुम हमसफ़र बन कर बताओ तो. सफ़र की मुश्किलें आसान कर दोगी, अगर तुम हाथ अपने भी बढ़ाओ तो. खिलेंगे फूल तुम जो हाथ धर दोगी,...
होली खेलें पर नहीं डालें रंग किसी अनजान पर. मिलें प्रेम से रंग लगायें घर आए मेहमान पर. बच्चों के हिस्से में ही रहने दें, बस गीली होली, गीली होली से क्यों किसी का रंग फिरे...
रंग इंद्रधनुष सा जीवन का हो रहन-सहन और ढंग. बैरभाव कटुता की न कोई भरी हुई हो भंग मन उमंग से भरे रँगे हो धरती और आकाश, रंगों में दिखलाई दे अपनी संस्कृति का रंग. बदरंग...
पदांत- है नारी समांत- आरी इस जगती में सबसे ही न्यारी है नारी. इस धरती की प्यारी फुलवारी है नारी. यह निसर्ग उपवन कानन से महका करता, महकाती घर जन्म से’ बलिहारी है नारी. सौरभ से...
मनुष्य ही है जो कभी रुका नहीं. पर्वत रुक गये आगे बढ़े नहीं समुंदर भी आसमान चढ़े नहीं हवाएँ भी ऊपर जा ठहर गईं मौसमों ने मंसूबे गढ़े नहीं मनुष्य ही है जो कभी थका नहीं....
पदांत- है समांत- आन ज्ञान में सम्मान्य है, वागीश्वरी वरदान है. ज्ञान में सब प्राणियों में मनुष्य ही प्रधान है. विद्वान् है, गुणवान् है, महान् है कला में वह, प्राणिजगत् में मनुष्य ही इस धरा की...
ओह ! ऋतुराज न करना संशय आना ही है. तुझको दूषित प्रकृति पर विजय पाना ही है. धरा प्रदूषण का हलाहल पिए है मौन. जन जीवन को संरक्षण तब देगा कौन. ग्रीष्म शरद बरखा ने सदा...
फिर आया नववर्ष भूल जाओ जो बीता. धूल झाड़ के ख्वाबों को बाहों में भर लो. हरे-भरे बागानों को राहों में कर लो. काँटों को भी साथ रखो अभिमान न आए, राख हटा अंगारों को दामन...
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