सोफे पर पसरे-पसरे दुखी आत्मा ने सोचा,देश में नेता तो कई हैं,मगर मजेदार युवा नेता तो एक ही हैं। ऐसे नामचीन नेता अगर कहते हैं कि मुझे बजट पर बात नहीं करनी, मुझे तो चीन पर बात करनी है,तो इससे उनका पड़ोसी प्रेम झलकता है। इन्हें चीन की सेना ज्यादा मजबूत नज़र आती है, इसका […]
Author: अजय कुमार प्रजापति
साहित्य संपादक, इस्पात भारती मासिक पत्रिका
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ए६/५७, आनंद विहार
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जमशेदपुर , ८३१००४,झारखंड
व्यंग्य- रजाई में कोरोना और किसान आंदोलन
कड़ाके की ठंड थी, और चल रही थी शरीर को छेदनेवाली बर्फीली हवा।इस सप्ताह ओले भी गिरे थे। ऐसे में भला कौन गर्मा-गर्म बिस्तर छोड़ना चाहता है। दुखी आत्मा का यही हाल था। सुबह की नींद टूट जाने के बावजूद वे बिस्तर में घुसे-पडे़ मोबाईल क्रांति में तल्लीन थे। श्रीमती जी मॉर्निंग वॉक का हवाला […]
लव जिहाद, चुनाव एवं कोरोना
आनेवाले दीपावली पर्व से उत्साहित मुहल्ले के कुछ नवयुवक भूल गए कि लॉक-डाउन आंशिक गया है और कोरोना तो बिल्कुल नहीं गया है। यह घोषणा भी भूल गए कि जबतक दवाई नहीं, तबतक ढिलाई नहीं। उन्होंने मुहल्ले के राममंदिर में सामूहिक रूप से ‘दीपोत्सव’ कार्यक्रम करने की योजना बना ली।दुखी आत्मा घबराए।इस कोरोनाकाल में ऐसी […]