कौन सी शाम की बात लिखूँ हुई थी या नहीं वोह मुलाक़ात लिखूँ ढलते हुए शाम के साये में उभरते हुए जज़्बात लिखूँ अँधेरे खड़े थे लेकर रातों का सहारा लड़खड़ाते कदमों से कैसे लिखूँ बंध थे सारे मयखाने के दरवाज़े लरज़ते हाथो से कैसे फ़रियाद लिखूँ अदब से खड़े थे अलफ़ाज़ खयालों के पीछे […]
Author: अखिलेश पाण्डेय
नज़र से
मिल गयी आज मेरी नजरे उनकी नजर से जब जा रही थी वो अपनी गलियों में होके बेखबर से हमने अपनी मोहबत का इज़हार ना किया बस इसी डर से ऐसा ना हो कही गिर जाऊ मै उनकी नज़र से
साधना है….
आज मुझसे मेरा ही सामना है इसलिए मन थोडा अनमना है हर झगड़े की यही है एक जड़ सभी को एक दूसरे से घृणा है इस हार को भी तुम जीत मानो दुश्मनों से भला क्या हारना है खुद की नजरों में जो उठ न सके ऐसे इंसान को क्या मारना है जान देकर डूब […]
जो खुद है बेवफ़ा
हमारे आशियानों में अपना घर रखेंगे, सच में वो आसमानों में पर रखेंगे? रख के मेरे कदमों के नीचे काँटे वो मेरे कंधे पे अपना सर रखेंगे कर के लहूलुहान मेरे जज़्बातों को अपने ही हाथों उसे अब धर रखेंगे शायद मुकर जाए वो अपने इरादे से हम अपनी आँखें अश्कों से तर रखेंगे इधर […]
पाप का घड़ा..
कोई नहीं समझा वो किसके सहारे पड़ा है , लोग यह समझ बैठे कि वो सबसे बड़ा है सच बोलने की कोई सीमा नहीं है और झूठ पकड़ना भी इक कला है, मैंने सुना है शैतान होते हैं उस जगह पर , जिस जगह पर किसी का धन गड़ा है. एक बार खाने से उम्र […]
गांधीवाद
कायर नहीं वो लोग जिन्होंने हथियार उठाया है, किसी ने किया होगा उन्हें मजबूर जो उन्होंने ऐसा अभीयान चलाया है, कब तक चलते रहेंगे हम गांधी के बनाये हुए उसूलो पर, आखिर हमे अपना प्राण गांव कर सुभाष, भगत, आजाद ने भी कुछ सिखलाया है.
आवाज रुक जाती है
अक्शर मेरे गुलाब लगाते ही आपके बालो़े में, आपकी आँखे मुसर्रत से मुझे देख कर झुक जाती है, ना जाने आज मैं क्या बात कहने वाला हूँ, जो ज़बान खुश्क है और आवाज़ रुक जाती है. लब काँपने लगते है ऐसे जैसे मौसम हो ठण्ड का, जुबान फिसल रही है जैसे बनी हो रेत का, […]
आज सब अकेल है
मेरे हर एक दर्द पे बदनामियों का जमघट है हर एक मोड़ पे रुसवाइयों के मेले हैं न दोस्ती, न रिश्ते न दिलबरी, न अपने किसी का कोई नहीं आज सब अकेले हैं
ग़ज़ल : मौत बेहतर है जुदाई की सजा से
दिल थामकर जाते है हम जब भी राहे वफ़ा से, ख़ौफ़ लगता है हमे तेरी आँखों की खता से जितना भी मुमकिन था हमने सहा तुम्हारा गम, अब दुआ करो शायद दर्द भी लौट जाए दुआ से हम बुरे नहीं तो अच्छे ही कहाँ हैं और कहाँ थे, दुश्मनो से जा मिले है हम तुम्हारी […]
बेवफा से वफ़ा
मिट्टी भी जमा की, और खिलौने भी बना कर देखे… ज़िन्दगी कभी न मुस्कुराई फिर बचपन की तरह… ……… जीते है कुछ लोग इस तरह, मरकर भी अपना असर छोड़ जाते है पा लेते है मंजिल को और ज़माने के लिए डगर छोड़ जाते है ।। ……. मैं शिकायत क्यों करूं, ये तो किस्मत की […]