गलती किसकी ?
जून की चिलचिलाती धूप में सुधा अभी घर के बाहर पहुँची ही थी कि उसे घर के अंदर से कुछ
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Read Moreकुछ सिसकती आवाजें ****************** अक्सर बंद किवाड़ों में… दम तोड़ते हैं अहसास सिसकती हैं आवाजें रुंध जाते हैं गले !
Read Moreसत्ता ***** भूख, गरीबी और उत्पीड़न, मुद्दे तो हैं… पर छुपाए जाते हैं ! सत्ता के शतरंजी खेल में अब
Read Moreअक्सर और आदतन, निद्रा के आगोश में जाने से पहले, ले बैठती हूँ… दिनभर के लेखे – जोखे की किताब
Read Moreहिन्दी पर मेरी क्षणिका ****************** अजब परिहास कहलाए मातृभाषा फिर भी काट रही वनवास अंजु गुप्ता
Read Moreमकड़ी के जाले ************ न अभिमान कर… वर्तमान का, और इसकी ऊंचाइयों का ! कल भूतकाल बन… ये भी रखा
Read Moreकभी बँद करूँ मैं मुट्ठी, तो कभी बँद मुट्ठी मैं खोलूँ ! क्या ढूंढ़ते हैं इनमें, ये राज कैसे बोलूं
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