मुझे तू नज़र आया
बरसों नहीं, जिन्हें जीया मैंने जन्मों, उन ख्वाबों के कत्ल में… मुझे तू नज़र आया l रेत के महल जैसे,
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Read Moreव्यथित मन और लाचार जज्बात… बिछोह संतान का सह न पाएँ ! हर आहट पर,,, लिए आस वृद्धाश्रम के दर
Read Moreचुपके से ना जाने कब से मेरी इन चंचल चितवन में, आन बसे हो… तुम चितचोर ! हो खुद से
Read Moreतेरे ख्यालों में… गुजरने लगे हैं, रात और दिन ! तू पास हो न हो, तू संग मेरे रहता है
Read Moreइक खामोशी अक्सर फैल जाती है हम दोनों में कभी -कभी … इक दूजे में गुम होना भी अच्छा लगता
Read Moreचहूँ ओर सूरज के घूमें धरती वैसे ही… हर रचना का केन्द्र तुम बन जाते हो हर लफ्ज, हर भाव
Read Moreनींदें चुरा के मेरी, चैन से वो सो गया है कल तक था दिल जो मेरा, अब उसका हो गया
Read Moreबिन तेरे तेरी यादों में मुमकिन है… मैं जी जाऊँ बेखबर हूँ… ये भी हो सकता है पूरी तरह बिखर
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