बोझिल तन आहत मन मौन व्रत वह धरती है। तेजाब पड़ा है श्राप यही साँस गले का फाँस बनी।। दर्द इतना की धीरज खोती, देख अपना ही बिंब रोती । पूरा जग है रुठा रुठा , पतझड़ सा सूखा उजड़ा ।। रूप यौवन सब कुछ खोया , वीभत्स रूप देख दर्पण रोया।। पाषाण हृदय वो […]
Author: अंशु प्रिया अग्रवाल
Maths teacher from Muscat Oman
क्या ज्योतिपुँज आएगा?
बिखरे अरमान ,भीगे नयन, और यह चीरती तन्हाई । आँखों की तिजोरी से मोती बिखेरती कैसी बदहाली छाई।। घुँघरू सी बजती स्वप्नों की टूटती झंकारें साज खोती रही। पलकें बंद हो या खुली बेचैनियाँ दामन ना छोड़ती कभी।। जख्म गहरे ,दर्द भी रोये , तड़पाती पल-पल सदमें। बिखरी सांसे, आँसू की बौछारें, सहमाती मनहूस रातें […]