जालिम है जमाना अपना ख्याल रखना लबों पे मुस्कुराहट लहू में उबाल रखना क्या भरोसा इस कदर बदलते मौसम का घर में तुम नमक, चावल और दाल रखना कांटे चुभे या फिर फूल सजे हों राहों पर हर हाल में होश-ओ-हवास संभाल रखना पत्थर दिल पिघल जाएंगे गांधी के तरीके से सामने उनके अपना दूसरा […]
Author: अर्जुन सिंह नेगी
जब तक बड़े बुज़ुर्गों का डर रहता है
जब तक बड़े बुज़ुर्गों का डर रहता है तब तलक ही कोई घर घर रहता है पिता की डाँट को संभाल कर रखना पास ताउम्र जीने का हुनर रहता है झांक कर देखो माँ के दिल में कभी तेरे लिए प्यार का समंदर रहता है वतन पर कुर्बान हो औलादें जिनकी फक्र से ऊँचा उनका […]
एक है चेहरा और कितने ही नकाब हैं
एक है चेहरा और कितने ही नकाब हैं अंदर से कुछ बाहर से कुछ जनाब हैं जुबान और करम में कोई राब्ता नहीं इन बेतरतीबों के अलग ही आदाब हैं ना जाने क्या क्या दबा रखा है दिलों में कहने को तो कहते हैं खुली किताब हैं झूठा गरूर होता हुस्न-ओ-जमाल का पानी के बुलबुले […]
मुहब्बत की रौशनी देखी
तुम्हारी आँखों में मैंने, मुहब्बत की रौशनी देखी दिखावे से भरी है महफिल, तुझमें सादगी देखी होठों पे प्यारी मुस्कान और हया से भरी निगाहें झुल्फे काली रात, चाँद से चेहरे पे चाँदनी देखी ज़रूरी नहीं के हर बात का इज़हार किया जाए खामोश हों भले जुबान, आँखों में तिश्नगी देखी दिल का धड़कना ही […]
इसका हल क्या होगा
बड़ी मुश्किल में हूँ, इसका हल क्या होगा चिंता में डूबा सोचूँ, आख़िर कल क्या होगा इमारत ढह जायेगी, आ जाए जो तूफाँ खोखली हो बुनियाद, महल क्या होगा रहे बेसब्र, काबू ना रहता, भटकता है मन सा दुनिया में दूजा, बेकल क्या होगा शिकायत ना हो कोई, ना हो गिला कोई खुशी हो दिल […]
अंदर की नहीं जानते
चेहरे को पढ़ लेते हैं, अंदर की नहीं जानते दरिया से वाकिफ हैं, समंदर की नहीं जानते करते हैं इबादत मगर, दुखाते हैं दिलों को ये ही काफिर हैं जो, कलंदर की नहीं जानते ला- मकां है ये, खुदा कहे कोई या भगवान फिरकापरस्त मस्जिद ओ मंदर की नहीं जानते दौलतो- शोहरत का ग़ुरूर है […]
मन की गति
मन की गति का अनुमान लगाना दुष्कर है ये ऐसा सागर है जिसका पार पाना दुष्कर है बस्ती बस्ती कानन कानन, भटके दिशा दिशा हां लक्ष्य पर अपने ध्यान टिकाना दुष्कर है मन ही में तो बनती हैं, दीवारें नफरत की प्रेम है ईश्वर मन को समझाना दुष्कर है अंधेरा है अज्ञानता का, है मैं […]
जीवन-साथी
पिता का बीज और माँ की गर्भ, मिलते हैं इस दुनिया में रंग बिरंगे, कई फूल खिलते हैं बड़े प्यार से हर माँ, अपना रुधिर बच्चे को देती बच्चे के सुख कि खातिर, कई कष्ट सह लेती पिता खुशी से बनाता, भविष्य कि योजनाएँ कैसे दूर होंगी, पग पर आने वाली विपदाएँ बच्चे के लिए […]
कितना घबराया है इस हालात से आदमी
वाकिफ हो गया अपनी औकात से आदमी कितना घबराया है इस हालात से आदमी बादशाह-ए- कुदरत समझ बैठा था नादान पस्त बैठा है अपने घर पे शह मात से आदमी किस-किस की मौत लिखी है कोरोना से घबरा रहा है ऐसे-ऐसे सवालात से आदमी जिनसे मिलने को निकलता था घर से रोज आज डर रहा […]
अब तेरी रहनुमाई का मोहताज नहीं है
अब तेरी रहनुमाई का मोहताज नहीं है तुमको मालूम है वो मजबूर आज नहीं है यूं लगता है जलाकर आया ख्याल पुराने ओढ़े रहता जिसे वो नकाब-ए-लाज नहीं है सर पर एक भोज है उसके फेंक देगा यकीनन हीरे मोती जड़ा हो जैसे कोई ताज नहीं है अपनी लड़ाई अकेले ख़ुद ही लड़ रहा वो […]