नहीं रहे बालसाहित्य के पुरोधा दादा राष्ट्रबंधु – एक संस्मरण और श्रद्धांजलि
लगता है जैसे कल की ही बात हो | 27 दिसंबर 14 को राजसमंद बालसाहित्य समागम मे राष्ट्रबंधु जी पधारे
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Read Moreबहुत पहले की बात है. नागपुर के जंगल में जहरीले सांपों का एक परिवार रहा करता था. उसके मुखिया नागराज
Read Moreआलोच्य पुस्तक ‘जादुई गुब्बारे’ की लेखिका डॉ मंजरी शुक्ला का हिन्दी मे प्रथम बालकहानी संग्रह है | इससे पूर्व अँग्रेजी
Read Moreखुद भी जागें व जगाएं सबको , चलो स्कूल ले जायें सबको | जिनका बचपन पड़ा है गलियों में
Read Moreकिसी की टॉफी कोई छीने किसी की चोटी कोई खींचे , हँसता मुन्ना , रोती मुनिया अपना बचपन अपनी दुनिया
Read Moreथककर बैठे कूलर दादा , कुछ दिन थोड़ा सुस्ताते हैं , सिर पर अपने हाथों को रख ,पंखे चाचा अलसाते
Read Moreकहता सदा रहो होशियार , जाग रहा है चौकीदार | असमय कभी नही सोना , साहस कभी नहीं खोना हरदम
Read Moreअगर पंख अपने होते तो, नभ मे ऊँचे तक उड़ जाते वायुयान से उड़कर जाने, के सारे झंझट बच जाते|
Read Moreपधारी सर्दी दुबके पाँव! सर्द हवा से पसरी ठंडक , आँगन मे सिहरी पद चापें ठंडा – ठंडा बाहर –
Read Moreहम भले ही पहुँच गये हों चाँद पर बाहें लम्बी करके छू लिया हो मंगल की धरती और नाप लिया
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