Author: अशर्फी लाल मिश्र

मुक्तक/दोहा

दोहे राजनीति पर

दोहे 1-उत्सव होइ चुनाव का,बजैं जाति के ढोल। खाई जनता में बढ़े,सुन सुन कड़ुवे बोल।। 2-जातिवाद अभिशाप है,लोकतंत्र के देश।

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