पिता
पिता पालक है, जनक है पुत्र का सहारा है, सर्जक है। पिता निर्माणक है,साधक है पुत्र के लिए मार्गदर्शक है।
Read Moreकबीर दास जी एक सन्त होते हुए भी समाज सुधारक थे।एक सन्त के रूप में इन्होंने ईश्वर,ब्रम्ह,जीव जगत,धर्म आस्था,कर्म कांड
Read Moreइंसान खाली हाथ आया था,और खाली चला जायेगा।यह अकाट्य सत्य है। इसे कोई झुठला नही सकता।और यह भी परम सत्य
Read Moreप्रकृति हम सबकी माता है तुझसे ही अटूट-नाता है। तू ही सब के प्राण-दाता है तू ही तो भाग्य-विधाता है।
Read Moreहो सके तो हम,अपने अंदर को झाँकें यहॉं-वहाँ हम,दूसरे को बाहर न ताकें। हम गौर करें अपना,करें स्वआँकलन स्वआत्मा के,आवाज
Read Moreमैं घर आँगन की पहचान हूँ मैं पेड़-पौधों की मुस्कान हूँ। मैं भोर का सन्देशा लाती हूँ मैं सारे जगत
Read Moreक्रिस्टोफर पाओलिनी ने कितनी अच्छी बात कही है- “किताबें मेरी दोस्त हैं, मेरी जीवनसाथी हैं। ये मुझे हंसाती हैं और रुलाती हैं
Read Moreदादा जी आज सुबह-सुबह सैर के लिए निकल ही रहे थे कि अचानक उनके पाँव ठिठक गए।और वे किसी चीज
Read Moreकिसी ने ठीक ही कहा है- “लगन” एक छोटा सा शब्द है।जिसे लग जाती है उसका जीवन ही बदल जाता
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