कब से…..
ढूंढता रहा मैं जाने तुम्हें कब से भटकता रहा अनजाने से कब से बड़ी मन्नतों से पाया है तुम्हें रब
Read Moreउसके दर से होकर बेकरार चले एक बेवफा से करके प्यार चले तन्हाई में गम को उतार चले भीड़ से
Read Moreराहुल सरकारी दफ्तर में नौकरी करते है और दिसम्बर का अंतिम महीना चल रहा था राहुल की कुछ छुट्टियां बची
Read Moreसुनो साथियो रखना होगा संयम करना होगा भरोषा परिस्थितियां जो आज है कल नहीं होंगी मिटेगा दर्द जागेगीं खुशियां छटेगा
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