बाल गीतिका – सुराही
लाल रंग की सुघर सुराही। मिट्टी से ये बनी सुराही।। शीतल जल दे प्यास बुझाती, अपनापन दे नित्य सुराही। गर्मी
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Read Moreकसें कसौटी सत्य की,हीरा हो या काँच। भ्रम में तेरे नेत्र हैं ,पता करें यह साँच।। जीव योनि-यात्रा करे, चल
Read Moreस्वजातीय को देखकर रंग बदलने की परम्परा अत्यंत प्राचीन है।इस मामले में खरबूजा और आदमी परस्पर प्रतियोगी की भूमिका में
Read Moreशिक्षा का आदर्श है,शिक्षक प्रभा-मशाल। तम हो तले चिराग के,शिष्यों का क्या हाल? सीख ज्ञान-उपदेश की ,दे शिक्षक आदर्श, नैतिक
Read Moreभाइयो ! बहनो!!जीवधारियों में गहनो! ‘हम’ तुम्हारी नाक हैं। तुम्हारी साँस को चौबीस घण्टे,सातों दिन,बारहों महीने अंदर- बाहर लाने ले
Read Moreरहते सँग – सँग जीव हमारे। घर में निशि – दिन लगते प्यारे।। मच्छर मक्खी नित के साथी। रहते नहीं
Read Moreपत्नी के साथ पहली – पहली रात को बतियाए या न बतियाए ; हाँ, कुछ महापुरुष उस महारात को बड़े
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