गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 31/07/201701/08/2017 गज़ल अपने कौन, बेगाने कौन, किस्से छेड़े पुराने कौन सबको चाहत खुशियों की, गम से करे याराने कौन खुद से ही Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 29/07/201729/07/2017 गज़ल मैं ये जाहिर नहीं करता कि मैं सब याद रखता हूँ, पहले भूल जाता था मगर अब याद रखता हूँ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 28/07/201719/08/2017 गज़ल जब बेकसूरों को सताया जाएगा, मासूम लोगों को रूलाया जाएगा बदलाव की उठेगी फिर आँधी यहाँ, ज़ालिम हुकूमत को भगाया Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 26/07/201726/07/2017 गज़ल हाल-ए-दिल तुमसे छुपाना था छुपाया ना गया, बहुत कुछ तुमको बताना था बताया ना गया हम जो कह रहे थे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/07/201719/08/2017 गज़ल ज़िंदगी तुझसे मुहब्बत भला मैं कैसे करूँ, इतनी मासूम शरारत भला मैं कैसे करूँ यहाँ तो लोग मिलते ही हैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 20/07/201721/07/2017 गज़ल तू था शायद खफा-खफा मुझसे, तभी खुल के नहीं मिला मुझसे तेरा लहजा बयान करता है, बाकी है तुझे गिला Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 17/07/201717/07/2017 ग़ज़ल हो अच्छा वक्त तो दुनिया हसीं मालूम होती है, मुसीबत में मगर ये अजनबी मालूम होती है गुलामी करते देखा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 17/07/201717/07/2017 ग़ज़ल यहां पर दिल जिगर रूहें और झूठा प्यार बिकते हैं, इस दुनिया की मंडी में कमीने यार बिकते हैं शर्म Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 05/07/2017 गज़ल ये ज़िंदगी बेमकसद सा इक सफर निकला, जिसे समझा था आदमी वो पत्थर निकला, मैं करता भी अगर किससे शिकायत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 01/07/201717/07/2017 गज़ल गिरगिट जैसे नेताओं का रंग बदलना जारी है, भोले-भाले लोगों को मिलजुलकर ठगना जारी है सपने रोज़ दिखाते हैं वो Read More