गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 13/10/2016 ग़ज़ल वक्त सबका हिसाब कर देगा, जर्रे को आफताब कर देगा फिरते हैं बने तवंगर जो, उनका खाना-खराब कर देगा सब्र Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 13/10/2016 ग़ज़ल अक्षर मेरे श्वासोच्छवास हैं अक्षर मेरे प्राण, अक्षर ही हैं नाद अनाहत अक्षर ब्रह्म की तान अक्षर ही गीता स्वरूप Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 13/10/2016 ग़ज़ल ये अफसाना ज़माने को सुनाना भी ज़रूरी है, उनका नाम दुनिया से छुपाना भी ज़रूरी है यूँ तो राज़ मैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 13/10/2016 ग़ज़ल तुम पुष्पराज पंकज समान, मैं बस सूखी दूर्वा सा हूँ विद्वता की धार हो तुम, मैं पथिक ज्ञान का प्यासा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/10/2016 ग़ज़ल हम गुज़री हुई बातों को दोहराया नहीं करते बुरा जो वक्त आ जाए तो घबराया नहीं करते खाद डालो भरोसे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 15/09/201622/09/2016 ग़ज़ल तेरे लब पे जो ना आया वो नाम किसका था बता तो दे तेरे दिल में मुकाम किसका था चल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 15/09/201622/09/2016 ग़ज़ल धर्म में, ज़ात में बंट गया आदमी क्या बनना था क्या बन गया आदमी गुनाह चेहरे से अब तो झलकने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 02/09/2016 ग़ज़ल दिल चाहता है कासिद जब लाए कोई पैगाम, लिखा हो तेरे हाथों से और बस हो मेरे नाम हम अलमस्त Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 29/08/2016 ग़ज़ल इक तो अब हो गई पुरानी भी, हमको आती नहीं सुनानी भी तुम अपने गम से भी नहीं खाली, है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 26/08/2016 ग़ज़ल किसी की बात को हम-तुम कहां और कब समझते हैं, पर अपने काम की होती है तो हम सब समझते Read More