अल्पविराम
ज़िंदगी बड़ी दगाबाज़ है कब फ़लक भर खुशियाॅं दे दे और कब पल भर में लकीरों को बाॅंझ बनाकर आपको
Read More“लावण्यमयी ललना अपने अंग-अंग पर पड़ी सुस्ती को बुहार ले ओज है तेरी रवानी में खुद को तू सॅंवार ले,
Read Moreताउम्र तुम मुझे प्रेमिका ही बनाए रखना तुम बेइन्तेहां चाहत बरसाने वाले प्रेमी ही बनें रहना मर्द बनने की कोशिश
Read Moreहर साल वूमेन डे पर स्त्री विमर्श लिखते हुए सोचती हूॅं अगले साल स्त्री स्वतंत्रता पर लिखेॅंगी। लेकिन विमर्श का
Read Moreए जीव तू अहं की यात्रा पूरी करके आगे तो निकल आया, कितना बेखबर है अपनों का काफ़िला तो पीछे
Read More“आया फागुन होली लाया, रंगों की फूहार लाया हर मन नाचे झूम झूमकर, गुजिया के संग भांग लाया, तू भी
Read Moreरहना तुम सदा मेरे भीतर ऐसे रहती है पुतलियाॅं चुपके से नैन कटोरी के भीतर जैसे ओझल न होना अचानक
Read Moreकाॅलेज केन्टिन में सबसे अलग उदास और अपने आप में गुम बैठे अंश से उसकी दोस्त सिमोन ने कहा, “come
Read Moreवक्त की धुरी पर बहते दिन, हफ़्ते, महीने, साल अपनी रफ़्तार से गुज़र रहे है। हम सबको कहते सुन रहे
Read Moreकुछ लोगों को लगेगा कि महिलाएं आज कहां से कहां पहुंच गई ऐसे में इस विषय को उठाना निरर्थक है।
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