धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

कर्मयोगी कौन है

यह बात 2004 की हैं। मेरे मन में बदरीनाथ केदारनाथ जाने की इच्छा जागी । ऋषिकेष पहुंचकर मैं सुबह ही बस में बैठ गया जब शाम के 4-5 बजे तो मुझे बस में लगातार 13 घंटे बैठने के बाद थकावट लगने लगी हालांकि मैने टिकट लम्बी यात्रा का लिया था मैने बस से उतर कर […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

प्रतिक्रिया – बोद्ध धर्म

1 यह कहना गलत है कि बोद्ध धर्म सनातन धर्म से निकला है। बल्कि सच्चाई यह है कि जब महात्मा बुद्ध ने सनातन धर्म के नाम पर उस समय के ब्राहम्णो द्वारा अपनाई अमानविय हरकतों को देखा तो उन्होने सनातन धर्म से अलग एक अलग धार्मिक विचारधारा को जन्म दिया जो कि सनातन धर्म से […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मौत का भय

बहुत समय पहले एक कहानी पढ़ी थी—–महात्मा बुद्ध के पास एक महिला अपने लड़के को लेकर आई और बोली, महात्मा यह मेरे नियन्त्रण ये बाहर हो गया है, मेरी एक नहीं सुनता। इसके पिता तो है नहीं, कृप्या आप ही इसका कोई ईलाज करें। बुद्ध बोले—देवी इसका ईलाज करने का कोई फायदा नहीं क्योंकि इसका […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

यम लोक में बैठा चित्रगुप्त कौन है ?

हम में बहुत ने यह पढ़ा और सुना है कि यम लोक में चित्रगुप्त रहता है। वह जितने भी प्राणी हैं उनके अच्छे बुरे कर्मो का हिसाब एक बहीखाते में रखता है। जब किसी भी प्राणी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा यम लोक में जाती है। चित्रगुप्त उसका बहीखाता पढ़कर सुनाता है […]

सामाजिक

बच्चों द्वारा आत्महत्या की समस्या

एक रिपोर्ट के अनुसार चण्डीगड़ शहर में पिछले पांच सालों में 81 ऐसे बच्चों ने आत्महत्या की जो 20 साल से कम के थे। पी जी आई के विद्वान डाक्टर का मत है कि ऐसा बच्चे तब करते हैं जब दीर्घइच्छाओं के पूरा न होने के कारण व्यक्ति निराश हो जाता है या फिर जिससे […]

सामाजिक

यदि आपको ऐसा लगता है कि आपको अपने ही घर में सकून नही तो कुछ ऐसा करके देखें

अक्सर ऐसा भी होता है कि जिसने सारा घर खड़ा किया होता है, उसे अपने ही घर में मालिक होते हुये भी सकून नहीं होता। दूसरों के सामने, अपने घर के सदस्यों की शिकायत करते नजर आता हैं, लोग सुनते हैं, पर समाधान किसी के पास नहीं होता। वे आधा एक घंटा उसकी बात सुन […]

सामाजिक

मैं महर्षि दयानन्द का ऋणी हूं

आजकल देश में बेटी बचाओं आन्दोलन आरम्भ हुआ है। माता के गर्भ में पल रही बेटियों को जन्म लेने से पूर्व ही मार दिया जाना इस आन्दोलन का कारण है। इसी पृष्ठ भूमि में हमारे बन्धुओं की विकृत मानसिकता और सामाजिक परिस्थितियां हैं। इसका एक अन्य कारण यह भी है कि हमारे देश में लाखों […]