औरों पर हँसने वालों कभी यह भी सोचा तुम भी बन सकते हो हंसी के पात्र किसी रोज उस दिन क्या बीतेगी दिल पर तुम्हारे सभी दिन किसी के एक से नहीं होते अंधेरों के बात उजाला भी होता है रहे यह याद !
Author: *ब्रजेश गुप्ता
दिल दिमाग
जज़्बात कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें लिखते लिखते हाथ रुक जाते हैं कलम थम जाती है दिल कहे तू लिख दिमाग करे इनकार फिर जंग शुरू होती है दिलो दिमाग के बीच दिल लेता निर्णय भावना से दिमाग करता है तर्क दिल चाहता है बोलना दिमाग है उसको रोकता वो जानता है भावना में […]
गन्ने के जूस के फायदे
मैं 4 नवंबर से नर्मदा जी की पैदल यात्रा पर निकला हूं. मेरी यात्रा अमरकंटक नर्मदा जी के उद्गम स्थल से प्रारंभ हुई है और नर्मदा जी के दोनों तटों दक्खिन और उत्तर से चल अमरकंटक में ही समाप्त होगी. इस यात्रा के दौरान जब में नरसिंगपुर जिले में पहुंचा तो वहां मुझे गन्ने की […]
पल दो पल जिंदगी
जिंदगी की कहानी हो जाए कब खल्लास नहीं कुछ इसका पता चलते चलते कब डगमगा कर राहों में बिखर जाए सुनने देखने वाले बोल उठें अरे यह क्या कल ही तो मुलाकात हुई थी गली के नुक्कड़ पर हर प्रसाद पनवाड़ी की गुमटी पर कह रहे थे यार आजकल तुम चुना ज्यादा लगा […]
कमल ककड़ी
अक्टूबर के महीने में मानसून जाते वक्त इतना बरस गया कि सब्जियों की किल्लत कर गया. सब्जी भी काफी महंगी बिक रही थी. कुछ पैसे बचाने की नियत से मैं अपनी सिकंदरा की मंडी पहुंच गया, वहां मेरी नजर कमल ककड़ी जिसे हम भसूडे भी कहते हैं पर पड़ गई. आज की चर्चा उन्हीं […]
लहू का रंग
लहू की दो बूंद जमी पर दिखी तो यह ख्याल आया यह खून किसका है अमीर का या किसी गरीब का सवर्ण का या फिर किसी दलित का बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक का क्योंकि बूंदों का रंग लाल था उसके बिना कोई पहिचान न थी खून का रंग भी होता अगर पीला नीला या हरा तो […]
क्षणिका
हम दोष ढूंढने में हैं माहिर शब्द पकड़ बैठ जाते हैं शब्दों के पीछे की भावना नहीं हम पढ़ पाते हैं ❤️🙏
गुड़िया रानी
हवा चल रही ठंडी ठंडी पानी भी है बरस रहा गुड़िया रानी बाहर न खेल जल्दी आ जा अंदर खांसी होगी, नाक बहेगी छींकेगी तू जोर जोर भीग गई तो ठंड से आ जायेगा तुझको ज्वर
रावण दहन
इस साल भी रावण अस्तय पर सत्य की जय कह कर मार डाला गया हर साल की तरह परंपरा का निर्वाह हो गया न देखा किसी ने झांक के अपने अंदर वह अभी तक जिंदा है फलफूल रहा है पहले से भी ज्यादा भीमकाय हो गया है
यमराज द्वितीय
यमराज जी बोर हो गए अपनी पुरानी ड्रेस और भैंसे की सवारी से सो उन्होंने लिया एक निर्णय और बोले मैं बदल रहा हूं अपना यह गेट अप हो चुका हूं बोर अब इससे देख रहा हूं सब अपने को बदल रहे हैं मैं अभी भी हूं उसी दकियानूसी दौर में कर विचार यह पहुंचे […]